HI/750913 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जब तक आपका दिल साफ नहीं होता है तब तक आप नहीं समझ सकते कि हरि क्या हैं, उनका नाम क्या है, उनका रूप क्या है, उनकी गुणवत्ता क्या है, उनकी गतिविधियां क्या हैं। आप नहीं समझ सकते। अतः श्री-कृष्ण-नामादि न भवेद ग्राह्यम् इन्द्रियै (चै. च. मध्य १७.१३६)। आपकी कुंद बकवास इंद्रियां, यदि आप उपयोग करते हैं, तो आप कृष्ण को नहीं समझ सकते। इसलिए लोग कृष्ण को नहीं समझ रहे हैं, न ही वे हरि-नाम के मूल्य को समझ रहे हैं। क्योंकि उनकी इंद्रियां कुंद हैं, इन माया गुणों से दूषित, वे समझ नहीं सकते।" |
750913 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०२.११ - वृंदावन |