HI/751009 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डरबन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
""योगी के विभिन्न प्रकार हैं, लेकिन सभी योगियों में से," योगिनाम अपि सर्वेषाम मद-गतेनान्तर-आत्मना, "जो मेरे बारे में सोच रहा है, कृष्ण," मद-गतेन अंतर-आत्मना . . . अंतर-आत्मना: हृदय के अंतरंग में वह कृष्ण के बारे में सोच रहा है। तो योगिनाम अपि सर्वेषाम मद-गत अंतर-आत्मना श्रद्धावान (भ. गी. ६.४७ )। श्रद्धावान का अर्थ है "विश्वास के साथ"; भजते, "मेरी उपासना करता है"; स मे युक्ततम:, "वह प्रथम श्रेणी का योगी हैं।" |
751009 - प्रवचन भ. गी. ०७.०१ - डरबन |