HI/751103 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप उन चीज़ों को समझना चाहते हैं जो इस भौतिक संसार से परे हैं . . . तमसी मा ज्योतिर्गम: "भौतिक अस्तित्व के इस अंधेरे में मत रहो। पार करने का, आध्यात्मिक जगत में जाने का प्रयास करें, ज्योति, जहां प्रकाश है। यहां सदैव अंधकार रहता है और वहां सदैव प्रकाश रहता है। इसलिए हर किसी को रुचि होनी चाहिए, विशेषकर इस मानव जीवन में, जानवरों, बिल्लि और कुत्ते की तरह, हमेशा इस भौतिक जगत में न रहने की लेकिन ब्रह्म-भूत: बनने की। अहं ब्रह्मास्मि। जीव को जानना चाहिए। यह मानव जीवन का कर्तव्य है।"
751103 - प्रवचन चै. च. मध्य २०.१०१-१०४ - बॉम्बे