HI/760103b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद नेल्लोर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यही गीता का आधार है। तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया (भ.गी. ४.३४)। वास्तविक व्यक्ति, तत्त्वदर्शिनः से सीखो, जिसने देखा है, जिसे सत्य का वास्तविक अनुभव है। उससे सीखो। गीता कभी भी यह अनुशंसा नहीं करती है कि तुम कल्पना करो और अपने सिद्धांत बनाओ। ऐसा कभी नहीं कहा। यही वैदिक संस्कृति है। तद्विज्ञानार्थं स गुरुं एवाभिगच्छेत (मु. उ. १.२.१२

)। तस्माद् गुरुं प्रपद्येत जिज्ञासुर श्रेय उत्तमम् (भ.गी. ११.३.२१)। यही रास्ता है। कृष्ण या कृष्ण के प्रतिनिधि से शिक्षा लो । तब तुम्हें अनुभव मिलेगा। यह कृष्ण भावनामृत है। कल्पना करने का क्या फायदा है?"

760103 - सुबह की सैर - नेल्लोर