HI/760104b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद नेल्लोर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"बस यह समझने की कोशिश करो कि जो भी हो, इन दुष्टों की मानसिकता क्या है, कि "अच्छी चीजें आपके ध्यान में नहीं आती हैं"? अगर कुछ बुरा है, "ओह, यहाँ है. . ." आप देखिए। पामराः दोषं इच्छान्ति गुणं इच्छान्ति पंडिताः। सज-जना गुणं इच्छान्ति दोषं इच्छान्ति पामराः। इसका मतलब है कि वे वैष्णव भी नहीं हैं। आप देखिए? वैष्णव का मतलब है परमो निर्मत्सरानाम (श्री. भा. १.१.२)। यहां तक ​​कि अगर किसी में कुछ दोष है, तो एक वैष्णव उसे नहीं देखता है। वह अच्छे गुणों को लेता है।"
760104 - सुबह की सैर - नेल्लोर