HI/760223 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह कृष्ण की इच्छा है। वे हमें चार सिद्धांत देते हैं, कि 'सदैव मेरे बारे में सोचो', मन-मना, 'और मेरे भक्त बनो', मद-भक्ता, मद-याजी, 'मेरी आराधना करो', और मद-याजी... मन-मना भव मद-भक्तो मद-याजी मां नमस्कुरु (भ.गी. १८.६५): 'और मुझे प्रणाम करो। यह चार सिद्धांत आपको भौतिक अस्तित्व के इस बंधन से मुक्ति दिलाएंगे' और, मां ऐवैष्यसि असंशय, 'बिना किसी संदेह के, आप मेरे पास वापस आएंगे'। 'यह इतना सरल मार्ग है'। यह बिल्कुल कठिन नहीं है। यह बच्चा, वह यह कर सकता है। बूढ़ा व्यक्ति यह कर सकता है। अशिक्षित यह कर सकता है, बिना किसी ज्ञान के। यहां तक कि एक जानवर भी यह कर सकता है। यह बहुत ही सरल है। भक्ति-योग बहुत ही सरल है।"
760223 - प्रवचन श्री.भा. ०७ .०९.१६ - मायापुर