HI/760306 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो यह वैष्णव पद्धति है। तव भृत्य-सेवाम्। वैष्णव सीधे कृष्ण के पास नहीं जाते। वह वैष्णव नहीं है। यह धृष्टता है। आप कृष्ण के पास नहीं जा सकते। चैतन्य महाप्रभु ने हमें सिखाया है, गोपी-भर्तुः पद-कमलयोर दास-दास-दासानुदासः (चै. च. मध्य १३.८०)। यह प्रक्रिया है। आपको करना होगा . . . जैसे आपको परम्परा प्रणाली द्वारा पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना है-इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवान अहम् अव्ययम् (भ. गी. ४ .१)-इसी प्रकार, तुम्हें परम्परा प्रणाली के माध्यम से भगवान के पास जाना होगा।" |
760306 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.२८ - मायापुर |