"कृष्ण को समझना संभव नहीं है, लेकिन कृष्ण अपने बारे में ज्ञान दे रहे हैं, जहाँ तक हम समझ सकते हैं। यही भगवद्गीता है। इसलिए कम से कम आप भगवद्गीता में दिए गए निर्देशों के अनुसार कृष्ण को समझने की कोशिश करें। चैतन्य महाप्रभु ने सुझाव दिया है, यारे देखा तारे कहा कृष्ण-उपदेश (चै. च. मध्य ७.१२८)। मानव जीवन कृष्ण को समझने के लिए है। कोई अन्य कार्य नहीं है। यदि आप बस इसी कार्य से जुड़े रहें, तो आपका जीवन सफल है। हमारा कृष्ण भावनामृत आंदोलन इसी उद्देश्य के लिए है। हम इतने सारे केंद्र खोल रहे हैं ताकि दुनिया के लोग इसका लाभ उठा सकें। इस अवसर का लाभ उठाओ और कृष्ण को समझो और अपना जीवन सफल बनाओ।"
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