HI/760319b - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हमारी वैदिक सभ्यता कहती है, नारी रूपम पति व्रतम: "एक स्त्री सुंदर है जब वह अपने पति की सेवक बनी रहती है।" यह है सुंदरता, बाहरी सुंदरता नही। एक स्त्री ने अपने पति के सेवक बने रहना कितना सिख रखा है, यह वैदिक सभ्यता है। कोकीलानम स्वरो रूपम। कोयल, काली है, फिर भी लोगो को प्रिय क्यों है? उसकी मीठी आवाज़ के लिए।
कोकीलानाम स्वरो रूपम विद्या रूपम कूरूपणम (चाणक्य पंडित) एक आदमी कुरूपी, काला हो सकता है किंतु यदि वह शिक्षित है तो लोग उसका सम्मान करेंगे। और नारी रूपम पति व्रतम। और एक स्त्री उतनी सुंदर है जितनी वह अपने पति की आज्ञा माने और उनके प्रति समर्पित रहे।" |
760319 - सुबह की सैर - मायापुर |