HI/760324 - श्रील प्रभुपाद कलकत्ता में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"राधा कृष्ण प्रणय विक्रतीर ह्लादिनी शक्तिर अस्माद

(चै.च आदि १.५)

कृष्ण और राधारानी, वही परम सत्य है। राधारानी कृष्ण को आह्लाद देने वाली शक्ति है, और जब कृष्ण आनंद लेना चाहते है, वे स्वयं की आह्लादिनि शक्ति को विस्तृत करते है राधारानी के रूप में। और जब वे राधा कृष्ण की माधुर्य लीला का विस्तार करना चाहते है, तब वे चैतन्य महाप्रभु का रूप लेते है, और बड़ी कृपालुता से कृष्ण प्रेम प्रदान करते है। इसीलिए रूप गोस्वामी उन्हें दंडवत प्रणाम करते है,

नमो महा वदनाय कृष्ण प्रेम प्रदायते।

(चै.च मध्य १९.५३)

कृष्ण को समझने के लिए बहुत, बहुत ज्यादा जीवन के समय लगते है।

बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते ।

(भ.गी ७.१९)

और राधारानी एवं कृष्ण के प्रेम को समझना, कोई सरल कार्य नही। किंतु चैतन्य महाप्रभु की कृपा से हम समझते है कृष्ण प्रेम प्रदायते।"

760324 - बातचीत - कलकत्ता