HI/760404b - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मुक्ति के लिए बहुत सारे निर्धारित मंत्र हैं। ओंकार-सर्व-वेदेषु। प्रत्येक वैदिक मंत्र ओंकार से शुरू होता है, और वे कृष्ण हैं। वैदिक मंत्र . . . हम वैदिक मंत्र का जाप करते हैं। उपनिषद और तंत्र संहिता में बहुत सारे वैदिक मंत्र हैं। तो वे अ, उ, म-ओम अक्षरों के संयोजन से शुरू होते हैं। ॐ तद् विष्णुं परमं पदं सदा पश्यन्ति सूर्यः (ऋग वेद)। सब कुछ। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। प्रत्येक वैदिक मंत्र ओंकार से शुरू होता है। उनमें से कुछ लोग हरे कृष्ण के बजाय ओंकार का जाप करने के बहुत शौकीन हैं। तो कोई आपत्ति नहीं है। कृष्ण कहते हैं, प्रणव: सर्व-वेदेषु (भ.गी. ७.८)। प्रणव का अर्थ है ओंकार।"
760404 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०५.४९ - वृंदावन