HI/760408 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हर कोई जीने की कोशिश कर रहा है। एक बूढ़ा आदमी मरना पसंद नहीं करता। वह डॉक्टर के पास जाता है, कुछ दवा लेता है ताकि वह अपना जीवन जारी रख सके। लेकिन उसे जीने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अश्वावतम्। आप बहुत अमीर आदमी हो सकते हैं, आप अपने जीवन को लम्बा करने के लिए कई गोलियाँ, कई इंजेक्शन ले सकते हैं, लेकिन यह संभव नहीं है। यह संभव नहीं है। लेकिन जैसे ही आप कृष्ण को देखते हैं, तो आपको अपना शाश्वत जीवन मिल जाता है। शाश्वत जीवन हमें मिल गया है। हम शाश्वत हैं। न हन्यते हन्यमाने शरीरे (भ. गी. २.२०)। शरीर के विनाश के बाद हम नहीं मरते। हमें दूसरा शरीर मिलता है। यह रोग है। और जब आप कृष्ण को देखते हैं, जब आप कृष्ण को समझते हैं, बिना देखे भी, अगर आप केवल कृष्ण को समझते हैं, तो आप शाश्वत हो जाते हैं ।”
760408 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.५३ - वृंदावन