HI/760409 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"दो प्रकार के पुरुष हैं, श्रेयस-काम:, प्रेयस-काम:, तो दो चीजें हैं। तो यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन श्रेयस-काम: के लिए है। और श्रेयस-काम: कौन बनता है? महाभाग, जो महान भाग्यशाली है। साधारण व्यक्ति नहीं। दुर्भाग्यशाली या बदकिस्मत, वे कृष्ण भावनामृत को नहीं समझ सकते। महाभाग। बहुत, बहुत महान भाग्यशाली व्यक्ति। चैतन्य महाप्रभु ने रूप गोस्वामी को दिए अपने उपदेश में इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा, एइ रूपे ब्रह्माण्ड ब्रह्मिते कोणो भाग्यवान जीव, गुरु-कृष्ण-कृपया पाय भक्ति-लता-बीज। (च च. मध्य १९.१५१)" |
760409 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.५४ - वृंदावन |