"जीवित इकाई माँ के गर्भ में पिता के बीज के माध्यम से प्रवेश करता है, वही प्रक्रिया। जब तक जीवित इकाई प्रवेश नहीं करता है, तब तक शरीर नहीं बनता है। यह केवल द्रव्य है। जब जीवित इकाई प्रवेश करता है, उसके मन के अनुसार रचना होता है। वे इसके बारे में क्या जानते हैं? हम्म? यम यम वापी स्मरण भावं त्यजति अन्ते कलेवरम (भ.गी. ०८.०६)। केवल इच्छा के अनुसार द्रव्य तैयार किया जाता है। जैसे हमने अपनी इच्छा के अनुसार इस बड़े घर का निर्माण किया है। इस द्रव्य ने अपने आप इस बड़े घर का आकार नहीं लिया है। मैं इसका मालिक हूँ। मेरी इच्छा है कि, 'कमरे इस तरह हों।' इसी तरह, भौतिक तत्व, पिता का बीज और माँ का अंडाणु मिश्रित होता है, यह एक अनुकूल, क्या कहते हैं, सीमेंट का सर्जन होता है, और अब मनुष्य के इच्छानुसार वह बस्ता है। ऐसा नहीं है कि सीमेंट स्वचालित रूप से एक कमरा या पाइप या ये या वो बन जाता है।"
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