HI/760422b - श्रील प्रभुपाद मेलबोर्न में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"दो रास्ते हैं। एक मंजिल है घर वापस जाना, भागवत धाम वापस जाना। दूसरी मंजिल है जन्म और मृत्यु के चक्र में शामिल होना। तो यह मानव जीवन वह संधि-स्थल है जहाँ से आपको तय करना है कि आपको अपना रास्ता कहाँ बनाना है। आप घर वापस जा रहे हैं, भागवत धाम वापस जा रहे हैं, या फिर से जन्म और मृत्यु के चक्र में वापस जा रहे हैं, मृत्यु-संसार-वर्त्मणी? वर्त्मणी का अर्थ है "मार्ग।" यह आपको इस मानव जीवन में तय करना है।" |
760422 - प्रवचन भ. गी. ०९.०४ - मेलबोर्न |