HI/760424 - श्रील प्रभुपाद मेलबोर्न में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो हम स्वयं को तैयार कर सकते है उच्च लोक जाने को या निम्न पशु योनि में जाने को। हम सुअर बन सकते है; हम वानर बन सकते है; हम देवता बन सकते है; हम ऐसे बहुत कुछ बन सकते है। जो भी हम बन
ना चाहते है, कृष्ण हमे वह बनने का अवसर देते है। किंतु उसे हम सुख नहीं मिलेगा। अगर हम पुनः अपने घर जाते है, भगवान के पास जाते है, जन्म मृत्यु के समस्याओं के बिना, तब हम सुखी होंगे। तो यह कृष्ण चेतना का आंदोलन सब लोगो को एक अवसर प्रदान करता है पुनः हमारे घर कैसे जाया जाए, पुनः भगवान के पास, इस देह को त्यागने के पश्चात। इस देह को त्यागना अनिवार्य है। यह निश्चित है। किंतु इस देह को पशु प्रवृत्ति में व्यर्थ क्यों करा जाए? इस देह को पूर्णतः से पुनः घर जाने के लिए उपयोग में लाना चाहिए, पुनः भगवान के पास जाने के लिए। यह हमारा सिद्धांत है, और हम यह भगवद गीता के अधिपत्य से कह रहे है। हमने इसका निर्माण नही किया है। निर्माण का तो प्रश्न ही नहीं। यह अधिपत्य-युक्त है। यह सारे आचार्यों द्वारा स्वीकारा गया है। तो हमारा यह निवेदन है की आप इस अवसर का लाभ उठाए और कृष्ण चेतनामयी बने, और अगले जन्म में आप पुनः अपने घर जाए,भगवान के पास, और सदैव के लिए आनंदमय रहे।" |
760424 - प्रवचन भ.गी ०९.०५ - मेलबोर्न |