HI/760426b - श्रील प्रभुपाद मेलबोर्न में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कृष्ण की चिंता ही प्रथम श्रेणी की भक्ति है। यदि कोई इस प्रकार चिंतित हो जाता है, तो वह पूर्ण है। न जन्म-कोटिभि-सुकृतिभि लभ्यते ( चै. च. मध्य ८.७०)। कई, कई लाखों जीवन के पवित्र कार्यों के बाद भी किसी को ऐसी चिंता प्राप्त हो सकती है। कृष्ण के लिए चिंतित होना इतना आसान नहीं है। आप इसे सामान्य चिंता की तरह न सोचें। कोटि-सुकृतिभि। यदि कोई कृष्ण के लिए चिंता से भर जाता है, तो वह पूर्णता की सर्वोच्च अवस्था है।" |
760426 - सुबह की सैर - मेलबोर्न |