HI/760513 - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"असली सभ्यता यह है कि घर वापस कैसे जाएँ, भागवत धाम कैसे जाएँ। लेकिन वे नहीं जानते। न ते विदुः (श्री. भा. ७.५.३१)। भौतिकवादी व्यक्ति, वे नहीं जानते। इसलिए मानव समाज को यह सिखाने के लिए संगठन, संस्था होनी चाहिए कि घर वापस कैसे जाएँ, वापस कैसे जाएँ . . . यही असली सभ्यता है। अन्यथा बिल्लि और कुत्ते भी खाते हैं, सोते हैं, संभोग करते हैं, बच्चे पैदा करते हैं और मरते हैं। यह मानव सभ्यता नहीं है। अगले श्लोक में हम पाएंगे कि मानव सभ्यता प्राप्त की जा सकती है। पहली बात है, तेरहवाँ श्लोक, तपस्या, "तपस्या द्वारा।"
760513 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.१२ - होनोलूलू