HI/760618b - श्रील प्रभुपाद टोरंटो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यदि आप शांति और खुशी चाहते हैं, तो आपको रजस-तमः के स्तर को पार करना होगा और अच्छाई के स्तर पर आना होगा। फिर आपको अच्छाई के स्तर को पार करना होगा और वासुदेव स्तर, कृष्ण भावनामृत स्तर पर आना होगा। यह प्रगति है। तदा रजस-तमो-भावः काम-लोभ। रजस तम का अर्थ है काम और लोभ, अंतहीन लालच और अंतहीन कामुक इच्छाएँ। यह हमें भौतिक अस्तित्व की श्रेणी में रखेगा। मूढ़ जन्मानि जन्मानि अप्राप्य माम् (भ.गी. १६.२०)। फिर हम मूढ़, जन्म-जन्मान्तर तक बने रहते हैं। यह मानव जीवन का उद्देश्य नहीं है।" |
760618 - वार्तालाप बी - टोरंटो |