"सबका कल्याण होगा। बस आपको उपदेश देना है। आपको उसी तरह उपदेश देना है जैसे जहाँ आवश्यकता नहीं है, वहाँ भी उपदेश चलता रहेगा। आपको बादल जैसा बनना है। इसलिए आप प्रतिदिन गाते हैं, संसार-दावानल-लीढ-लोक-त्राणाय-कारुण्य-घनाघनत्वम्। घनाघनत्वम् का अर्थ है गहरा बादल। आपको गहरा बादल बनना है और पानी बरसाना है। यह धधकती आग बुझ जाएगी। जब जंगल में धधकती आग हो, तो छोटी-सी फायर ब्रिगेड या बाल्टी भर पानी काम नहीं आएगा। पानी डालने के लिए बादल, घनाघनत्वम् की आवश्यकता होती है-ख़तम। आपको ऐसा करना है। वन्दे गुरुः श्री . . . जो ऐसा कर सकता है, वह गुरु है।"
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