HI/760626 - श्रील प्रभुपाद नव वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"प्रह्लाद महाराज विद्यार्थी जीवन के आरम्भ से ही यह सलाह देते हैं कि, कौमारा आचरेत प्रज्ञो धर्मान्भागवतान इहा (श्री. भा. ७.६.१), उन्हें कृष्ण भावनामृत में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। यही प्रह्लाद महाराज सलाह देते हैं। अब विद्यार्थी जीवन के आरम्भ से ही, क्योंकि कोई शिक्षा नहीं है, उन्हें राक्षस के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। क्या किया जा सकता है? कृष्ण भावनामृत पर जोर देकर बहुत सी चीजों को सुधारना होगा। ये कृष्ण भावनामृत आंदोलन हैं। भगवद्गीता में जो कुछ भी वर्णित है, वह कृष्ण भावनामृत आंदोलन के अधिकार क्षेत्र में है। इसलिए हमें यह सब करना होगा।"
760626 - वार्तालाप सी - नई वृन्दावन, यूएसए