HI/760709b - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि बचपन में मैं अपने पिता का बहुत ही लाडला बेटा था। मैंने कृष्ण की पुस्तक में यह स्वीकार किया है। मैंने कहा कि मेरे पिता बहुत अमीर आदमी नहीं थे, लेकिन फिर भी, मैं जो भी चाहता था, वह मुझे देते थे। उन्होंने मुझे कभी डांटा नहीं, बल्कि पूरा प्यार दिया। फिर बेशक मेरे दोस्त बने और मेरी शादी हो गई। कृष्ण की कृपा से सभी ने मुझे प्यार किया। (हंसते हुए) और मैं बिना किसी परिचय के इस विदेशी देश में आया। इसलिए कृष्ण ने मुझे प्यार करने के लिए बहुत से पिताओं को भेजा है। इस तरह से मैं भाग्यशाली हूँ। अंतिम चरण में अगर मैं बहुत शांति से रहता हूँ, तो यह कृष्ण की महान दया है। कृष्ण की दया से सब कुछ संभव है। इसलिए हम कृष्ण के चरण कमलों से चिपके रहेंगे और सब कुछ संभव है।"
760709 - वार्तालाप - न्यूयार्क