"जब तक आप आध्यात्मिक रूप से बोध प्राप्त नहीं कर लेते, आप नहीं जानते कि अंतिम लक्ष्य क्या है। अंतिम लक्ष्य यह है कि हम भगवान के अभिन्न अंग हैं। किसी न किसी तरह हम इस भौतिक वातावरण के संपर्क में हैं। इसलिए हमारा अंतिम लक्ष्य घर वापस जाना है, भगवत धाम वापस जाना है। जब तक हम यह नहीं जानते और भगवान के पास वापस लौटने का अभ्यास नहीं करते, तब तक हमें इस भौतिक संसार में ही रहना होगा, एक शरीर से दूसरे शरीर में देहान्तरण। इसलिए मानव बुद्धि आध्यात्मिक पहचान और जीवन के लक्ष्य को समझने और उसके अनुसार कार्य करने के लिए है। यही कृष्ण भावनामृत आंदोलन है। यह लोगों को घोर अज्ञानता से आध्यात्मिक समझ के उच्चतम ज्ञान की ओर प्रबुद्ध करने के लिए एक शैक्षिक आंदोलन है।"
|