"कृष्ण हर किसी की भक्ति सेवा स्वीकार करते हैं यदि वह प्रेम और स्नेह के साथ अर्पित की जाती है। वह भगवद गीता में कहते हैं, पत्रं पुष्पं फलं तोयम यो मे भक्त्या प्रयच्छति (भ.गी. ९.२६)। कृष्ण कहते हैं, "कोई भी जो मुझे प्रेम और स्नेह के साथ थोड़ा फूल, थोड़ा पानी, थोड़ा फल अर्पित करता है, मैं उसे खाता हूं, मैं उसे स्वीकार करता हूं।" इसलिए यदि आपके द्वारा कृष्ण को अर्पित की गई कोई चीज उन्हें स्वीकार हो जाती है, तो आपको जानना चाहिए कि आपका जीवन सफल है। इसलिए भगवान को बहुत सारी चीजें बहुत खूबसूरती से तैयार करके चढ़ाने का सवाल ही नहीं है, लेकिन आप प्रेम और स्नेह के साथ थोड़ा फूल, थोड़ा फल और थोड़ा पानी अर्पित कर सकते हैं। इसका मतलब है कि दुनिया का सबसे गरीब आदमी भी परम पुरुषोत्तम भगवान की पूजा कर सकता है। कोई बाधा नहीं है। अहैतुकी अप्रतिहता (श्री. भा. १.२.६)। भक्ति सेवा को किसी भी भौतिक स्थिति से रोका नहीं जा सकता है। "
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