HI/760725 - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"अगर कुछ स्वामियों ने कहा होगा, वे कहते हैं कि, "तुम हमें बदमाश क्यों कहते हो और इतनी सारी चीजें?" तो तुम कहो कि, "हम तुम्हें नहीं कहते हैं; कृष्ण कहते हैं । हम कृष्ण भावनामृत पर जोर दे रहे हैं । तो हमें कृष्ण ने जो कहा है उसे दोहराना होगा । इतना ही। हम कुछ नहीं कर सकते। कृष्ण कहते हैं, न मां दुष्कृतिनो मूढाः (भ.गी. ७.१५)। आप कृष्ण भावनाभावित नहीं हो; तो फिर आप मूढा हो।" |
७६०७२५ - बातचीत - लंडन |