"हमें चीजों को इस तरह से समायोजित करना होगा कि बिना किसी शर्त के, बिना किसी रोक-टोक के, हम अपनी भक्ति सेवा जारी रख सकें। जैसे हम यहाँ या कहीं भी बैठ सकते हैं। यहाँ अवसर है। यह भूमि बहुत अच्छी है। आप कहीं भी बैठ सकते हैं और इस हरे कृष्ण महा-मंत्र का जाप कर सकते हैं। कुर्सी या कुशन या किसी और चीज़ की ज़रूरत नहीं है। अहैतुकी अप्रतिहता। कोई भी शर्त। और येनात्मा संप्रसीदति, इससे आपकी हर चीज़ प्रफुल्लित होगी-आपका दिल, आपका दिमाग, आपका शरीर, आपकी आत्मा, सब कुछ। येनात्मा संप्रसीदति। जीवन की सर्वोच्च पूर्णता प्राप्त करने की सबसे आसान विधि। इसलिए बिना किसी रोक-टोक के इस प्रक्रिया को जारी रखें और खुश रहें।"
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