HI/760805b - श्रील प्रभुपाद नव मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"भक्त:आपने कहा कि कृष्ण अंतर्ज्ञान के माध्यम से बोलते हैं। तो क्या अंतर्ज्ञान का पालन करके कृष्ण का अनुसरण करना संभव है?

प्रभुपाद: अनुसरण के दो प्रकार हैं। तुम अपनी इच्छा से कुछ करना चाहते हो, और तुम एक जीवन में उस इच्छा को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए कृष्ण बहुत दयालु हैं, वे अगले जीवन में उस इच्छा को पूरा करने का अवसर देते हैं और तुम्हें देते हैं, "अब तुम ऐसा चाहते थे। यह अवसर है, इसे करो।" लेकिन यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है। तुम यह चाहते थे, इसलिए कृष्ण तुम्हें अवसर देते हैं। सबसे अच्छी बात यह होगी कि कृष्ण जो कहते हैं, तुम वही करो; तब तुम खुश रहोगे। अन्यथा, तुम्हें जीवन-पर्यंत भटकना पड़ेगा और अपनी इच्छाएँ पूरी करनी होंगी। कृष्ण तुम्हें अवसर देंगे, लेकिन इससे तुम्हारी समस्याएँ हल नहीं होंगी।"

760805 - प्रवचन भ. गी. १५.१५ - नव मायापुर