HI/760808b - श्रील प्रभुपाद तेहरान में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अतः गृहस्थ जीवन की निंदा नहीं की जाती। यह आवश्यक है। यदि गृहस्थ न हों, तो साधु पुरुष कहाँ से आएंगे? वे आकाश से नहीं टपकेंगे। इसलिए सब कुछ आवश्यक है। हमारे समाज में गृहस्थ हैं, ब्रह्मचारी हैं, संन्यासी हैं। सब कुछ आवश्यक है। इसलिए कृष्ण भावनामृत आंदोलन मानव समाज के संपूर्ण लाभ के लिए बहुत वैज्ञानिक आंदोलन है। यदि इसे ठीक से चलाया जाए, तो सभी संतुष्ट और प्रसन्न होंगे और घर वापस, भगवान के धाम वापस जाएंगे।"
760808 - प्रवचन श्री. भा. ०३.२२.१९ - तेहरान