HI/760814b - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"चलका-पथ। तो धर्म के नाम पर जो कुछ भी चल रहा है, वह केवल धोखा है। क्योंकि धर्म का अर्थ है धर्मं तु साक्षाद् भगवत्-प्रणीतम (श्री. भा. ६.३.१९)। धर्म का अर्थ है ईश्वर द्वारा दिए गए नियम। यही धर्म है। लेकिन वे नहीं जानते कि ईश्वर कौन है और नियम क्या है। और ईश्वर स्वयं आकर नियम दे रहे हैं: सर्व-धर्मान् परित्यज्य माम एकं शरणं व्रज (भ. गी. १८.६६)। वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। अनुपस्थिति में वे कहेंगे: "हमने ईश्वर को नहीं देखा है। हम नहीं जानते कि भगवान कौन है।" और जब वह आते हैं , तो वे नहीं लेते। वे नेताओं द्वारा गुमराह किए जाते हैं। कृष्ण के बिना भगवद गीता। बस इतना ही। भगवद गीता ले लो, लेकिन कृष्ण को मत छुओ। अछूत।"
760814 - वार्तालाप सी - बॉम्बे