HI/760817b - श्रील प्रभुपाद हैदराबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन आधिकारिक आधार पर लोगों को माया और अज्ञान के इन चंगुल से मुक्त करने के लिए उन्हें प्रबुद्ध करने का प्रयास कर रहा है। यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन है। और यह अधिकृत है क्योंकि हम भगवद गीता के आधार पर, वैदिक ज्ञान के आधार पर बोल रहे हैं। और भगवद गीता वैदिक ज्ञान का सार है। भगवद गीता में भगवान कहते हैं, वेदैश च सर्वैर अहम एव वेद्यः (भ.गी. १५.१५)। वैदिक ज्ञान का उद्देश्य क्या है? वैदिक ज्ञान का उद्देश्य: कृष्ण को समझना। वेदैश च सर्वैर अहम एव वेद्यः। भगवद गीता भी कृष्ण
को जानने की प्रक्रिया है। इसलिए यह वैदिक ज्ञान का सार है। क्योंकि अगर यह सच है कि वेदों का अध्ययन करके कृष्ण को समझना है, वेदैश च सर्वैर अहम एव वेद्यः (भ.गी. १५.१५), तो कृष्ण स्वयं को समझा रहे हैं कि वे क्या हैं। इसलिए यह वैदिक ज्ञान का सार है। वैदिक ज्ञान का यह सार है। यह बहुत सरल है। कोई भी समझ सकता है। इसमें कोई कठिनाई नहीं है।" |
760817 - प्रवचन भ. गी. १३.२२ - हैदराबाद |