HI/760906b - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अपराध वह है जो आचार्यों द्वारा कही गई बात है, यदि आप उसका पालन नहीं करते हैं, तो वह अपराध है। गुरोर अवज्ञा। वह अपराध है। गौर-निताई का जाप करना कोई अपराध नहीं है। लेकिन यदि हमारे पिछले गुरुओं ने श्रीकृष्ण-चैतन्य प्रभु नित्यानन्द श्री-अद्वैत का जाप किया है-तो हमें उससे आगे क्यों जाना चाहिए? वह गुरोर अवज्ञा है। यहां तक ​​कि कोई अपराध भी नहीं है, क्योंकि गुरु . . . कविराज गोस्वामी ने ऐसा गाया है, और मेरे गुरु ने गाया है, हमें उसका पालन करना चाहिए। हमें कोई विचलन नहीं करना चाहिए। वह गुरोर अवज्ञा है श्रुति-शास्त्र-निंदनम्। नाम्नो बलाद यस्य हि पाप-बुद्धिः। अतः यह दश-विधा-अपराध की वस्तुओं में से एक है। गुरोर अवज्ञा।"
760906 - वार्तालाप बी - वृंदावन