"जो लोग वृन्दावन में रहकर बन्दरों की तरह काम कर रहे हैं, उन्हें अगला जन्म बन्दर के रूप में मिलेगा, वृन्दावन में ही रहना होगा, और फिर अगले जन्म में वे मुक्त हो जायेंगे। एक ही जन्म में उनके सारे पाप कर्मों का दण्ड मिल जायेगा। क्योंकि पशु जीवन प्राप्त होते ही पाप कर्मों का कोई और लेखा-जोखा नहीं रहता। पशु अपने भाग्य से अधिक पाप कर्म नहीं कर सकते। लेकिन उनके पाप कर्मों को ध्यान में नहीं रखा जाता। इस मनुष्य को जिसे बन्दर का शरीर दिया गया है, वह बन्दर जीवन की असुविधाओं को भोगता है। इस प्रकार उसके पाप कर्मों का प्रतिकार हो जाता है, और चूँकि वह राधारानी की कृपा से वृन्दावन आया और वृन्दावन में रहा, इसलिए अगले जन्म में वह . . . यही वृन्दावन-धाम की महिमा है।"
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