HI/760907b - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"एवं परम्परा-प्राप्तं इमं राजर्षयो विदुः (भ.गी. ४.२)। इसलिए जब तक हम परम्परा प्रणाली में नहीं आते, आचार्य के बाद आचार्य, कोई सही शिक्षा नहीं है। इसलिए चैतन्य महाप्रभु के निजी सचिव, निजी सचिव, स्वरूप दामोदर, उन्होंने सलाह दी, भागवत पर गिया भागवत स्थाने। यदि आप श्रीमद-भागवतम सीखना चाहते हैं, तो आप ऐसे व्यक्ति के पास जाते हैं जिसका जीवन भागवतम है। ग्रंथ भागवत और व्यक्ति भागवत-दोनों ही भागवत हैं। इसलिए भागवत पर गिया भागवत स्थाने। जिसका जीवन भागवत ही है और कुछ नहीं, आपको उससे भागवत सीखना चाहिए, न कि किसी पेशेवर व्यक्ति से जो श्रीमद्भागवत पढ़कर या सुनाकर आजीविका कमा रहा है। यह प्रभावी नहीं होगा। आपको एक शुकदेव गोस्वामी खोजना होगा। तब श्रीमद्भागवत का यह अध्ययन प्रभावी होगा।"
760907 - प्रवचन श्री. भा. ०१.०७.०८ - वृंदावन