"हम इस भौतिक संसार में हैं। यह भौतिक संसार क्या है? भौतिक संसार का अर्थ है भौतिक प्रकृति के तीन गुण: सत्व-गुण, रजो-गुण, तमो-गुण। इसलिए कारणं गुण-संग के अनुसार, या तो सत्व-गुण, या रजो-गुण या तमो-गुण। यह चल रहा है, और इसलिए हमें विभिन्न प्रकार के शरीर मिल रहे हैं। तो यह चल रहा है। इसे भवार्णव कहते हैं। इसलिए यदि हम भौतिक प्रकृति के तीन गुणों से प्रदूषित होने के इस उलझन से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो हमें इस स्तर, निर्गुण पर आना होगा। निर्गुण। निर्गुण का अर्थ है परम पुरुषोत्तम भगवान के साथ जुड़ना या भक्ति सेवा में संलग्न होना। यही निर्गुण है।"
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