HI/760916 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"स्थूल समझ-इंद्रियाँ, शरीर, प्रत्यक्ष इन्द्रिय बोध-यह स्थूल है। मैं तुम्हें देखता हूँ, तुम मुझे देखते हो। मैं तुम्हें छूता हूँ, तुम मुझे छूते हो। मैं कुछ चखता हूँ . . . यह स्थूल है। इस स्थूल से ऊपर मानसिक स्तर है। तो मंत्र भी मानसिक स्तर पर है, बुद्धि से थोड़ा ऊपर। और उससे ऊपर आध्यात्मिक स्तर है। तो अगर भौतिक स्तर, मानसिक स्तर पर मंत्र इतना अद्भुत काम कर सकता है, तो मंत्र आपको आध्यात्मिक रूप से कितना लाभ पहुँचा सकता है, आपको बस कल्पना करनी है। तो यह हरे कृष्ण मंत्र पूरी तरह से आध्यात्मिक है। अगर आप आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध होकर इसका जाप करते हैं, तो निश्चित रूप से यह काम करेगा। परं विजयते श्रीकृष्ण-संकीर्तनम्। यह काम करेगा। इसलिए जप इतना महत्वपूर्ण है। जप नहीं है . . . नरोत्तम दास ठाकुर ने कहा कि यह ध्वनि कंपन यह भौतिक ध्वनि नहीं है। कृष्ण भौतिक ध्वनि नहीं है। यह कृष्ण है, आध्यात्मिक। अभिन्नत्वान नाम-नामिनोः (चै. मध्य १७.१३३)।"
760916 - प्रवचन श्री. भा. ०१.०७.१९ - वृंदावन