HI/760922 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"लोग जितने भौतिकवादी होंगे, संसार उतना बोझिल होगा। इसलिए दुष्टों को नाश करने के लिए, संघार करने के लिए युद्ध, महामारी, अकाल पड़ते हैं। आपको यह जानकारी इतिहास में मिल जाएंगी। यूरोप में, हर दस-बीस वर्ष में, लड़ाई, युद्ध हुआ है। यह इतिहास है। यूनानी तथा रोमन इतिहास में भी हर सौ वर्ष में युद्ध हुए हैं। युद्ध होना चाहिए, क्योंकि लोग पापी हो जाते हैं। ऐसे ही पापी, लगातार जानवरों की हत्या कर रहे हैं। इसलिए युद्ध और महामारी इसकी प्रतिक्रिया है। तो वह युद्ध क्या है? वह बोझ को कम करने के लिए। धरती माँ के बोझ को कम करने के लिए। धरती माता को यह बोझ ढोना बहुत भारी तथा असहनीय हो जाता है। और भार कम करने के लिए प्रकृति ऐसी आपदाएँ लाती है और जब अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है, तब कृष्ण स्वयं अवतरित होते हैं: 'कुरुक्षेत्र की रण-भूमि में भी युद्ध का आयोजन हुआ और सभी दुष्टों को अठारह दिन में समाप्त कर दिया गया। अठारह दिनों के भीतर चौंसठ करोड़ योद्धा मारे गए। इस क्यों हुआ ? क्योंकि यह कृष्ण की व्यवस्था थी।"
760922 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०७.२५ - वृंदावन