HI/761004 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"छाड़िया वैष्णव-सेवा निस्तार पाएचे केबा, नरोत्तम दास ठाकुर कहते हैं। यदि आप वैष्णव के वफादार सेवक नहीं बनते हैं, तो आपकी मुक्ति की कोई संभावना नहीं है। छाड़िया वैष्णव-सेवा निस्तार पाएचे केबा। "तंदेरा चरण-सेवी-भक्त-सने वासा, जनमे जनमे हय ए अभिलाष। यह नरोत्तम दास ठाकुर हैं। हमारा संकल्प पिछले गुरु और आचार्य की सेवा करना होना चाहिए। एवं परम्परा-प्राप्तम् (भ.गी. ४.२). यही हमारा संकल्प है। तांदेरा चरण-सेवी। हमारी सेवा, सीधे कृष्ण की नहीं। क्योंकि वैष्णव की सेवा करना, सीधे कृष्ण की सेवा करने से कहीं अधिक है। मद्भ-भक्त-पूजाभ्याधिका (श्री भा. ११.१९.२१). कृष्ण को यह पसंद है। वे किसी की सेवा सीधे स्वीकार नहीं करते। यह एक बड़ी गलती है।"
761004 - प्रवचन श्री. भा. ०१.०७.४४ - वृंदावन