HI/761005 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कोई भी जो असाधारण रूप से शक्तिशाली है, उसे कभी-कभी भगवान के रूप में संबोधित किया जाता है। नारद मुनि को भी कभी-कभी भगवान के रूप में संबोधित किया जाता है। भगवान शिव को भी कभी-कभी भगवान के रूप में संबोधित किया जाता है। हमने भगवान की विभिन्न विशेषताओं को कई बार समझाया है। ऐश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशस: श्रीय: (वी.पु. ६.५.४७) तो परम भगवान कृष्ण हैं। नान्यत् परतरो, मत्तः परतरं नान्यत्श्व (भ. गी. ७.७)। भगवान् अनेक हो सकते हैं, लेकिन पूर्ण भगवान् कृष्ण हैं। ऐश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य। समग्र नहीं, बल्कि परमपुरुष, वे समग्र हैं। अन्य, उनमें कुछ हद तक भगवान के गुण हैं। इस अर्थ में उन्हें भगवान कहा जा सकता है। लेकिन वे समग्र नहीं हैं। समग्र है समग्र का अर्थ है सम्पूर्ण। इसका श्रेय केवल कृष्ण को दिया जाता है, किसी और को नहीं।"
761005 - प्रवचन श्री. भा. ०१.०७.४५-४६ - वृंदावन