"आप गुरु बन सकते हैं। कठिनाई क्या है? हर कोई। आमारा आज्ञा गुरु हना तारा' ए देश, यारे देखा, तारे कहा कृष्ण-उपदेश (चै. च. मध्य ७.१२८)। आप गुरु बनिए। विचारों का निर्माण मत कीजिए। येनात्मा संप्रसीदति। तो क्या कोई कठिनाई है? कोई कठिनाई नहीं। भगवद्गीता सब कुछ बहुत अच्छी तरह से समझाती है, कृष्ण के प्रति जागरूक कैसे बनें, कृष्ण की पूजा कैसे करें, कृष्ण को कैसे समझें। वहां सब कुछ बहुत स्पष्ट रूप से समझाया गया है। इसलिए लोग इसे बहुत आसानी से ले सकते हैं, और फिर वह पूर्ण हो जाएगा। फिर वह नहीं आएगा . . . माम उपेत्य कौन्तेय दुःखालयं अशाश्वतम् (भ.गी. ८.१५)। यह बहुत आसान है। इसलिए इसे बहुत गंभीरता से लें। यही हमारा प्रचार है। हम कुछ भी नहीं बनाते, शब्दों की कोई बाजीगरी, कोई जादू या भगवान के बारे में कोई नया विचार नहीं। ये बकवास चीजें हम नहीं करते। हम बस चैतन्य महाप्रभु के आदेश का पालन करते हैं और हम बस 'कृष्ण'- उपदेश दोहराते हैं। बस इतना ही। यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन है। आप इसे अपना सकते हैं और कर भी सकते हैं। आप गुरु भी बन सकते हैं। यही हम चाहते हैं।"
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