"चैतन्य महाप्रभु ने अनुशंसा की है, परं विजयते श्री-कृष्ण-संकीर्तनम्। केवल ... चैतन्य महाप्रभु ने मनमाने ढंग से नहीं, बल्कि सरलता से अनुशंसा की है। यह इस युग का नुस्खा है: कीर्तनाद् एव कृष्णस्य मुक्त-संगः परं व्रजेत् (श्री. भा. १२.३.५१)। यदि आप इस हरे कृष्ण मंत्र का पूरी तरह से जाप करते हैं, कीर्तनाद् एव कृष्णस्य - कोई अन्य नाम नहीं बल्कि कृष्ण - मुक्त-संगः: आप इस भौतिक संगति से, या भौतिक संपर्क के कारण होने वाले संदूषण से मुक्त हो सकते हैं। यही इस युग का विशेष लाभ है। यह युग, कलियुग, दोषपूर्ण चीजों से भरा है। कलेर दोष-निधे (श्री. भा. १२.३.५१) यह दोषपूर्ण चीजों का एक महासागर है। "
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