HI/761103 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
प्रभुपाद: "जहाँ अज्ञान ही परमानंद है, वहाँ बुद्धिमान होना मूर्खता है।" यदि बहुसंख्यक मूर्ख और दुष्ट हैं, यदि आप कुछ समझदारी भरा कहते हैं, तो वे पूछेंगे ... वह आदमी, समझदार आदमी, वह पागल है। वह पागल है।
हरि-शौरी: हम्म। फिर उनसे कैसे लड़ें? प्रभुपाद: यही स्थिति है। एकमात्र उपाय यह है कि सभी विरोधों के बावजूद आपको हरे कृष्ण का जाप करना होगा। इससे शुद्धि होगी। अन्यथा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। तर्क और वितर्क, उनके पास समझने के लिए कोई दिमाग नहीं है। इसके लिए इस पारलौकिक विधि की आवश्यकता है, चेतो-दर्पण-मार्जनम (चै. च. अन्त्य १०.१२), हरे कृष्ण का जाप करके। यही चाहिए। आपको हरे कृष्ण का जाप करना होगा, और उन्हें ... सुनने का मौका दें। तब वे समझ पाएंगे कि हम क्या कह रहे हैं। सीधे तौर पर नहीं। यह संभव नहीं है।" |
761103 - वार्तालाप ए - वृंदावन |