HI/761106 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यदि कोई भगवान के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले तो वह महान आत्मा बन सकता है। सर्व-धर्मान् परित्यज्य माम एकं शरा ... (भ.गी. १८.६६)। सब कुछ हल हो गया। लेकिन वह ऐसा नहीं करेगा। जैसे आपका पहला प्रश्न था "इन (सभी भौतिक) समस्याओं को कैसे हल किया जाए?" जैसे ही वह भगवान के सामने आत्मसमर्पण करेगा, समस्याएं हल हो जाएंगी। लेकिन वह ऐसा नहीं करेगा। वह भगवान से बड़ा है। वह अपनी योजना से समाधान करेगा। यही कठिनाई है।" |
761106 - वार्तालाप - वृंदावन |