"भक्त नारायण के साथ रहता है, इसलिए स्वर्ग और नरक का सवाल ही नहीं उठता। वह वैकुंठ में है। यदि कृष्ण वैकुंठ में रह रहे हैं, तो भक्त भी वै ... में रह रहा है वह कृष्ण, नारायण से संबंधित है। इसलिए वे डरते नहीं हैं। नारायण-पर: सर्वे न कुटश्चन बिभ्यति (श्री. भा. ६.१७.२८)। नारद मुनि, वे हर जगह यात्रा कर रहे हैं। वे नरक जा रहे हैं; वे स्वर्ग जा रहे हैं; वे नारायण को देखने के लिए वैकुंठ जा रहे हैं। और वे जप कर रहे हैं, नारद मुनि भजाय वीणा राधिका रमण, बस इतना ही। क्योंकि वे जप कर रहे हैं ... उनका काम ज्ञान देना है। अगर वे नरक में जाते हैं, तो वे उन्हें सलाह देंगे, "हरे कृष्ण का जप करो।" और अगर वे इंद्रलोक जाते हैं, तो वे वही सलाह देंगे। और अगर वे स्वर्गलोक या किसी भी लोक में जाते हैं, तो यह नारद मुनि का काम है। इसी तरह, जो लोग कृष्ण भावनामृत का प्रचार कर रहे हैं, उन्हें इस नरक और स्वर्ग से डरना नहीं चाहिए। वे जहाँ भी जाएँ, वे बस प्रचार करेंगे, "हरे कृष्ण का जप करो।" यही उनका काम है।"
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