HI/761114 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"एक छोटी सी चींटी में भी सभी प्रवृत्तियाँ होती हैं। आहार-निद्रा-भय-मैथुन, ये प्रवृत्तियाँ - खाना, सोना, संभोग और डरना - आपको हर जगह मिलेगी। विषयः सर्वतः पुरुष। विषय। विषय का अर्थ अमीर आदमी बनना नहीं है। विषय का अर्थ है इंद्रियों का आनंद लेना। इसे विषय कहा जाता है। विषय चारिया, से रसे मजिया, मुखे बोलो हरि हरि। यह निर्देश है, कि हम हरे कृष्ण महा-मंत्र का जाप कर सकते हैं, हम भगवान के पवित्र नाम का जाप शुद्ध रूप से, बिना किसी अपराध के कर सकते हैं। क्योंकि अगर हम हरे कृष्ण महा-मंत्र का एक बार ही जाप कर सकें - अगर यह शुद्ध है - तो आप तुरंत मुक्त हो जाते हैं। एकारा हरि नाम याता पाप हरे, पापी हया तथा पाप क़रीबारे नरे। हरि-नाम इतना शक्तिशाली है कि एक बार जपने से लाखों जन्मों के संचित पाप कर्म तुरंत नष्ट हो जाते हैं। पापी हया तथा पाप क़रीबारे। हर पापी, पापी आदमी, पाप कर्म करने में बहुत माहिर होता है। लेकिन हरि-नाम इतना माहिर है कि एक बार जपने के बाद, पापी, पापी आदमी, पाप करने में असफल हो जाएगा।
761114 - प्रवचन श्री. भा. ०५.०५.२७ - वृंदावन