HI/761125b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करता हूँ, बाल बढ़ाकर फिर से हिप्पी मत बन जाना। महीने में कम से कम एक बार सिर अवश्य साफ करो। यही मेरी विनती है। मैं तुम्हें डाँट भी नहीं सकता। मैं भी बूढ़ा हूँ, तुम युवा पुरुष हो।"
761125 - प्रवचन श्री. भा. ०५.०६.०३ - वृंदावन