HI/761203 - श्रील प्रभुपाद हैदराबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम प्रचार कर रहे हैं, क्र्स्नस तु भगवान स्वयम् (श्री. भा. १.३.२८)। इसलिए शब्दों की किसी भी बाजीगरी के बिना हम लोगों को प्रस्तुत करते हैं कि, "यहाँ भगवान हैं," क्र्स्नस तु भगवान स्वयम्। इसलिए कुछ शब्द दे रहे हैं, कुछ शब्दों का त्याग कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हममें से हर कोई बहुत उच्च शिक्षित या बहुत अमीर है। फिर भी, अगर हम कृष्ण के शब्दों को मानते हैं . . . जैसा कि कृष्ण कहते हैं, मत्तः परतरं नान्यत् किंचित् अस्ति धनञ्जय (बीजी ७.७), इसलिए हमें ये शब्द पेश करना होगा कि, "परम पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण ही हैं।" इसमें कठिनाई कहाँ है? यह अधिकृत है। कृष्ण कहते हैं, और हम केवल शब्दों को मानते हैं। तो कठिनाई कहाँ है? तो केवल इन शब्दों को मानने से, "कृष्ण भगवान ही हैं। वे चाहते हैं कि हम उनके प्रति समर्पित हो जाएँ ।"
761203 - वार्तालाप - हैदराबाद