HI/761215 - श्रील प्रभुपाद हैदराबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तुम कृष्ण भावनामृत आंदोलन में आए हो। बहुत सावधान रहो। अपना समय बर्बाद मत करो। फिर से पतित मत हो। माम अप्राप्य निवर्तन्ते मृत्यु-संसार-वर्त्मनि (भ.गी. ९.३)। यदि इस जीवन में तुम कृष्ण भावनामृत प्राप्त करने की उपेक्षा करते हो, तो तुम्हें अपने कर्म के अनुसार फिर से जीवन की निम्न श्रेणी में लौटना होगा। तुम अपने कर्म के अनुसार अगले जन्म में कुत्ता, बिल्ली, पेड़ बन सकते हो। इसलिए अपने आप को फिर से पतित मत करो, क्योंकि प्रकृति के नियम से तुम बच नहीं सकते। दैवी ह्य (भ.गी. ७.१४) . . . जब तक यह शरीर है, तब तक तुम बहुत गर्वित हो सकते हो, कि "मुझे किसी चीज़ की परवाह नहीं है।" मेरे प्रिय सर, आप ऐसा मत कहिए। आप स्वतंत्र नहीं हैं। आपको परवाह करनी होगी। आपको परवाह करनी होगी। लेकिन क्योंकि आप मूर्ख हैं, बदमाश हैं, बेवजह घमंडी हैं, और आप सोच रहे हैं कि आप स्वतंत्र हैं। ऐसा मत बनिए।"
761215 - प्रवचन भ. गी. १६.०७ - हैदराबाद