HI/761226b - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम मनुष्य हैं; हमें पता होना चाहिए कि कृष्ण क्या कहते हैं। कृष्ण कहते हैं, एवं परम्परा प्राप्तं इमं राजर्षयो विदुः (भ.गी. ४.२)। परम्परा - चाहे वह परम्परा बोल रहा हो या मनमौजी ढंग से बोल रहा हो, हमें इतना तो समझ में आना ही चाहिए। अन्यथा, मैं वही भेड़ हूँ। फिर आप वह क्यों बोल रहे हैं जो परम्परा में नहीं है? कम से कम आपको तो होना चाहिए ... अब यह आंदोलन इसी सिद्धांत पर शुरू किया गया है कि ये दुष्ट लोग परम्परा के अनुसार क्यों नहीं बोल रहे हैं? यही इस आंदोलन को शुरू करने का मेरा बीज है। मुझे आंदोलन शुरू करना ही चाहिए। यही इस आंदोलन की प्रेरणा है, कि उन्हें परम्परा के अनुसार बोलना चाहिए। और किसी ने उन्हें अन्यथा बोलने की अनुमति दी। इसलिए मैंने यह लिखा पुस्तक, भगवद्गीता यथारूप। व्याख्या मत करो। और कृष्ण की कृपा से यह कुछ हद तक सफल हो गया है।"
760612 - प्रवचन श्री. भा. ६.१.४६ - डेट्रॉइट