HI/761229 - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"पतन का अर्थ है कि हम अपनी आध्यात्मिक पहचान से भौतिक पहचान में गिर जाते हैं, उपाधि। भौतिक पहचान, उपाधि: पदनाम। मैं अब बोल रहा हूँ, "मैं भारतीय हूँ," लेकिन "भारतीय," यही मेरा पदनाम है। मैं न तो भारतीय हूँ और न ही यूरोपीय। आप भारतीय नहीं, यूरोपीय हैं। हम पदनाम पर अधिक जोर दे रहे हैं। यह आधुनिक सभ्यता की गलती है। और शास्त्र में ऐसे व्यक्ति जो इस शरीर के साथ खुद को नामित करते हैं, उन्हें गो-खर:, स एव गो-खर: (श्री. भा. १०.८४.१३) के रूप में वर्णित किया गया है। इसलिए हमें बहुत सावधान रहना चाहिए, कृष्ण भावनामृत को अपनाना चाहिए।"
761229 - प्रवचन श्री. भा. ०५.०६.११ - बॉम्बे