HI/770109 - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"ठीक है, संग का अर्थ है क्रियान्वयन। जब आप चिकित्सा संघ या शेयरब्रोकर्स एसोसिएशन से जुड़ते हैं, तो बस वहाँ जाकर बैठ जाना आपका काम नहीं है। आपको कुछ करना होगा। आपको कुछ करना होगा। सत्संग का अर्थ है। तज-जोषणाद आश्व अपवर्ग-वर्तमनि (श्री. भा. ३.२५.२५)। सत्संग का अर्थ है कि आपको ज्ञान लेना है और इसे व्यावहारिक उद्देश्य के लिए उपयोग करना है। यह सत्संग है। इसलिए हमारा यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन सत्संग देने की कोशिश कर रहा है, दुनिया भर में केंद्र खोल रहा है। अगर लोग इसका फायदा उठाएँगे तो उन्हें फायदा होगा। लेकिन अगर वह अहंकार-विमूढ़ात्मा हैं, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मंदा: सुमन्द-मतयो मन्द-भाग्य ह्य उपद्रुताः (श्री. भा. १.१.१०)। यह कलियुग है। नेता भी सत् से नहीं जुड़ते, और वे अपनी कल्पनाएँ बनाते हैं। सत्, ॐ तत् सत्। भगवान ही सर्वोच्च सत् हैं। इसलिए वे भगवान की परवाह नहीं करते, इसलिए कोई सत्-संग नहीं है। असत्-संग।"
770109 - वार्तालाप ए - बॉम्बे